chandrayaan-3
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रूस का लूना -25 चाँद पर उतरने में असफल रहा , क्या चंद्रयान-3 चाँद पर उतरने में सफल होगा ?

Alex
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Koverstory.com – 14 जुलाई 2023 को इसरो ने अपना चंद्रयान-3  , सतीश धवन स्पेस सेंटर किया था । इस बार चंद्रयान – 3 का मुख्य मकसद चन्द्रमा की सतह पर आराम से उतरना है क्यूंकि पिछली बार चंद्रयान -2 , चन्द्रमा की सतह पर उतारते टाइम , कुछ तकनिकी कारण से चंद्रयान – 2 फेल हो गया था।

चंद्रयान – 3 का वजन  लगभग 3900 किलोग्राम और इसकी लगत करीब 680 करोड़ रुपये है ।  चाँद पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है । भारत से पहले अमेरिका , सोवियत रूस , और चाइना ऐसे देश है जिन्हीने चाँद पर पहुंचने में सफलता पायी है। यह भारत के वैज्ञानिको और देश के लोगो के लिए बहुत ही ऐतिहासिक दिन रहेगा।

चंद्रयान – 3 कैसे बना है?

चंद्रयान – 3 , चंद्रयान – 2 के जैसा ही है बस इसमें जो खराबी थी उनको सुधारा गया है और चंद्रयान – 3 को और भी शक्तिशाली बनाया गया है। चंद्रयान – 3 में मूल रूप से 2भाग है पहला भाग लैंडर है जिसको विक्रम नाम दिए गया है। दूसरे बाग़  रोवर जिसको प्रञण बोलै जाता है। एक और भाग है जिसको ऑर्बिटर बोलै जाता है ।

Chandrayaan -3
Chandrayaan-3_Integrated_Module

ऑर्बिटर :- यह एक अहम् भाग है जो की लैंडर और रोवर को चन्द्रमा की ऑर्बिट में 100 किलीमीटर तक लेकर जाएगा। इसका आकार एक डब्बे जैसा है जिसमे एक सोलर का पैनल लगा हुआ है । और शीर्ष पर एक सिलिंडर लगा है ।

Orbiter
Orbiter

लैंडर :- चंद्रयान – 2 पिछली बार उतरने के दौरान ही फ़ैल हो गया था। चंद्रयान – 3 में लैंडर एक बहुत ही अहम् भूमिका रहेगी जिसका मुख्य  काम चन्द्रमा की सतह पर सफता पूर्वक उतरना होगा। लैंडर का आकर भी एक डब्बे जैसा ही है लेकिन इसके चार पैर दिए गए है और 800 नेवतओंस के चार थ्रूस्टर्स भी दिए गए है । लैंडर , रोवर को अपने साथ साथ लेकर चलेगा और लैंडर में बहुते सारे वैगनिक उपकरण है जो की चन्द्रमा की सतह की खोज बिन करेंगे।

Lander
Chandrayaan-3_Lander

रोवर :- रोवर को इस तरीके से बनाया गया है की रोवर के 6 पहिये है और इसका वजन 27 किलोग्राम तक है । इसकी रेंज 600 मीटर तक की है। इसरो को रोवर से बहुत ही जयादा उम्मीद है वैगनिको का मानना है की रोवर चन्द्रमा के सतह की जानकारी , चन्द्रमा की मिटटी में बर्फ और पानी का होना , चन्द्रमा का इतिहास , चन्द्रमा  के वातावरण से जुडी और भी कई जानकारिया इकठ्ठा करेगा ।

Rover
Chandrayaan-3_Rover

चंद्रयान-3 कितने समय में चन्द्रमा पर पहुंचेगा?

वैसे तो चाँद पर पहुंचने पर एक सप्ताह का समय लगता है । लेकिन भारत का यह चंद्रयान – 3 जो की इसरो ने भेजा है वो एक महीने से जयादा का समय लेगा। उसके पीछे कुछ महतवा पूर्ण तथ्य है जैसे की चंद्रयान – 3 एक महीने तक पृथ्वी के ही चक्कर लगाएगा फिर वो चन्द्रमा के ऑर्बिट में प्रवेश करेगा। यह स्पेसक्राफ्ट जब चाँद के दक्षिणी ध्रुव के सतह के पास पहुंचने वाल होगा तब और तब उचाई लगभग 100 किलोमीटर होगी तब  , चंद्रयान – 3 चन्द्रमा की कक्षा का चक्कर लगाएगा । फिर ये लूनर लैंडर को चन्द्रमा पर 23 ौगुइस्ट साम के 6 बजकर 3 मिनट पर छोड़ देगा और चन्द्रमा से जानकारी जुटाना शुरू करेगा । और ये लूनर लैंडर हमेशा के लिए वह चन्द्रमा पर रहेगा । हलाकि इसकी जिंदगी केवल एक दिन की ही है। आपको ये बता दे की चन्द्रमा पर एक दिन , हमारी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है । फिर ये लूनर लैंडर चन्द्रमा की सतह से भूकंप , खनिज और भूगर्भ की जानकारी जुटाएगा और सेटेलिते के माध्यम से धरती पर भेजेगा। 

चंद्रयान-3
चंद्रयान-3

इसरो और एसोस

इसरो भारत की अंतरिक्ष से जुडी सारी जरूरतों को पूरा करता है । इसरो लगभग 500 से जयादा छोटी बड़ी संस्थाओं के साथ मिलकर काम करता है । इसको भारत के राकेट , सेतेलते और टेलीकॉम के वयापार में भी मदद करता है । साथ ही साथ मौसम की जानकारी और खनिज संसाधन खोजने के काम में भी मदद करता है। भारत ने  ेस्ट्राक (ESTRACK) से चंद्रयान – 3 पर ज़जर बनाये रखने क लिए बोलै है। ेस्ट्राक के पास सबसे बड़ी जमीनी संस्था है जो की दुनिया भर के  रॉकेट्स , सॅटॅलाइट और अंतरिक्ष से जुडी सारी गतिविधियों पर नजर रखता है। यह संस्था एसोस (ESOC) द्वारा चलायी जाई है जो की जर्मनी के डार्मस्टड में मौजूद है।

रूस लूना -25

रूस ने भी अपना चन्द्रमा का मिशन लांच कर दिया । ये भी जानना जरुरी है की रूस ने लगभग 50 साल बाद यह मिशन शुरू किया है। इस मिशन का नाम लूमा – 25 है । रूस का यह लूना – 25 , चंद्रयान -3 से पहले ही चाँद पर पहुंच जाएगा । क्यूंकि रुस्सा ने छोटे रास्ते से भेजा है। जो की बहुत ही महंगा है । लेकिन 20 अगस्त 2023 को रूस ने बताया की उनका लूना – 25 से कनेक्शन टूट गया है । और लूना – 25 चन्द्रमा के सतह पर कही जाकर गिर गया है। बोलै जा रहा है की चाँद पर पहुंचने के पहले ही लूना-25 ने संपर्क तोड़ दिया और क्रैश हो कर चन्द्रमा की सतह पैर जा गिरा।

Luna-25 Crashed
Luna-25 Crashed

क्या आपको पता है ?अंतरिक्ष के मिशन में कितना  खर्चा कितना आता है?

क्या आपको पता है भारत का स्पेस बजट कितना है ? भारत का स्पेस बजट बाकी देशो की तुलना में बहुत ही काम है। इसलिए भारत को अपना यह बजट बहुत ही समझदारी से इस्तेमाल करना होता है । इसका एक कारण यह भी है की भारत में स्पेस के क्षेत्र में निजी कंपनियों का योगदान अभी बहुत ही काम है । अमेरिका के स्पेस बजट का बजट सबसे जयादा 24 अरब डॉलर है । चीन के अंतरिक्ष का बजट 11.9 अरब डॉलर है । यूरोप देशों की बात करे तो उनका अंतरिक्ष बजट लगभग 7.8 अरब डॉलर है।

भारत का अंतरिक्ष बजट 1.6 अरब डॉलर है। जापान का अंतरिक्ष बजट भारत की तुलना में थोड़ा ही जयादा है जो की 1.5 अरब डॉलर है। यूरोपी देशों की तुलना में भारत का बजट बाउट ही काम है फिर भी भारत यूरोप देश और जापान से पहले ही चाँद पर पहुंचने वाला है । इतने काम बजट होने के वावजूद भी हम चन्द्रमा पर पहुचें वाले है और यही कारण है की भारत को एक अहम् अंतरिक्ष का साझेदार माना  जाता है । चाहे मिशन मंगल हो और मिशन चंद्रयान दोनों में दूसरे देशों ने भी अपने पेलोड( जानकारी जुटाने के उपकरण ) भेजे है।

Space budget
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