US H1-B Visa: अब भारतीयों को नहीं मिलेगी अमेरिका में नौकरी: एक नई चुनौती

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US H1-B Visa: अब भारतीयों को नहीं मिलेगी अमेरिका में नौकरी: एक नई चुनौती

भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंध हमेशा मजबूत रहे हैं, और भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका एक प्रमुख रोजगार स्थल रहा है। हालांकि, अब ऐसा लगता है कि यह सिलसिला थोड़ी कठिनाई में पड़ने वाला है। हाल के समय में अमेरिका ने अपनी वीज़ा नीति में बदलाव किया है, जो भारतीयों के लिए नई चुनौतियाँ लेकर आया है। तो सवाल यह उठता है कि क्या अब भारतीयों को अमेरिका में नौकरी मिलना मुश्किल हो जाएगा?

अमेरिका की नई वीज़ा नीति

अमेरिका में भारतीय पेशेवरों के लिए सबसे आम वीज़ा प्रकार एच-1बी (H-1B) वीज़ा है, जिसे विशेष रूप से उच्च कौशल वाले कार्यकर्ताओं के लिए डिज़ाइन किया गया है। पिछले कुछ वर्षों से इस वीज़ा की प्रक्रिया में बदलाव आए हैं, जिससे भारतीयों को नौकरी पाने में कठिनाई हो रही है। खासतौर पर ट्रम्प प्रशासन के दौरान वीज़ा नीति में कड़े नियम लागू किए गए थे और बाइडन प्रशासन ने भी इसे जारी रखा।

अब, अमेरिका सरकार ने यह निर्णय लिया है कि वे विदेशों से आने वाले कार्यकर्ताओं की संख्या में कमी करेगी और अमेरिकी नागरिकों को पहले प्राथमिकता दी जाएगी। इसका सीधा असर उन भारतीयों पर पड़ेगा, जो अमेरिका में नौकरी की तलाश में हैं।

अब डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की तरफ से सख्त आव्रजन नीतियों को लागू करने के संकेतों ने इन छात्रों को डरा दिया है. नए प्रशासन के तहत, छात्रों में डर का माहौल है. उनके अवैध रूप से काम के कारण वे निर्वासन का सामना कर सकते हैं या अपनी छात्र वीज़ा  खो सकते हैं.

भारतीयों पर इसका असर

वीज़ा की प्रक्रिया में कड़े नियम
पहले के मुकाबले, एच-1बी (US H1-B Visa) वीज़ा के लिए आवेदन की प्रक्रिया में और कड़े नियम लागू किए गए हैं। अधिक से अधिक अमेरिकी कंपनियाँ अब स्थानीय कर्मचारियों को प्राथमिकता देती हैं और विदेशी कर्मचारियों के लिए वीज़ा पर निर्भरता कम करना चाहती हैं। इससे भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में नौकरी पाने की संभावना घट सकती है।

भारतीय कंपनियों की भूमिका
भारत की बड़ी आईटी कंपनियां, जैसे इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी, और विप्रो, जिन्हें अमेरिका में बड़ी संख्या में कर्मचारियों की आवश्यकता होती है, अब वहां के नियमों के चलते अपने संचालन को प्रभावित होते देख सकती हैं। यह कंपनियां अमेरिकी बाजार में अपने कर्मचारियों की संख्या को घटा सकती हैं या फिर भारतीयों के बजाय अमेरिकी नागरिकों को नियुक्त करने पर जोर दे सकती हैं।

आय और जीवनशैली
अमेरिका में काम करने के इच्छुक भारतीय पेशेवरों को बेहतर वेतन और जीवनशैली के अवसर मिलते थे, लेकिन अब यह संभावना कम हो सकती है। अगर वीज़ा नीतियां और कड़ी हो जाती हैं, तो भारतीयों को अपने करियर और व्यक्तिगत जीवन के लिए नए विकल्प तलाशने होंगे।

विकल्प क्या हैं?

अमेरिका में नौकरी पाने की मुश्किलें बढ़ने के बावजूद, भारतीय पेशेवरों के पास कुछ विकल्प हैं:
भारतीय पेशेवरों के पास अब यूरोप, कनाडा, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी नौकरी के अवसर हैं। इन देशों में वीज़ा प्रक्रिया और रोजगार नीति थोड़ी लचीली है, जिससे भारतीय पेशेवरों के लिए नए रास्ते खुल सकते हैं।
भारत में भी अब आईटी और तकनीकी स्टार्टअप्स के ढेरों अवसर उपलब्ध हैं। इसके साथ ही, फ्रीलांसिंग और वर्चुअल वर्किंग के अवसरों में भी वृद्धि हुई है। कई भारतीय पेशेवर अब अमेरिका की नौकरी की तलाश में अपनी खुद की कंपनियां शुरू कर रहे हैं या फ्रीलांसिंग में करियर बना रहे हैं।

अमेरिका में नौकरी पाने के लिए भारतीय पेशेवरों के लिए रास्ते पहले के मुकाबले कठिन हो सकते हैं, लेकिन यह चुनौती नए अवसरों का निर्माण भी कर सकती है। यदि भारतीय कंपनियाँ और पेशेवर अपने कौशल और दृष्टिकोण को बेहतर बनाए रखें, तो वे किसी भी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। नए देशों में अवसर तलाशने और नए करियर विकल्प अपनाने से भारतीयों के लिए भविष्य में और भी ज्यादा सफलता के दरवाजे खुल सकते हैं।

यह समय है जब भारतीय पेशेवरों को अपनी रणनीतियाँ बदलनी होंगी और नए अवसरों का स्वागत करना होगा।

Source: https://www.livemint.com/news/us-news/indians-on-h1-b-visa-face-uncertainty-as-donald-trump-revokes-birthright-citizenship-andh-bhakts-never-11737514236709.html

https://www.hindustantimes.com/world-news/i-like-both-sides-of-argument-says-donald-trump-on-h-1b-visa-debate-101737507935191.html

 

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