पुरुषों में Infertility का बढ़ता मामला: क्यों भारत में शुक्राणु फ्रीजिंग का चलन बढ़ रहा है
आजकल पुरुषों में बांझपन (Male Infertility) एक गंभीर समस्या बन गई है, जो केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी असर डाल रही है। पहले यह माना जाता था कि बांझपन सिर्फ महिलाओं से जुड़ा मुद्दा है, लेकिन अब यह देखा गया है कि पुरुषों में भी यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। इसके कारणों में जीवनशैली के बदलाव, तनाव, अनियमित खानपान, पर्यावरणीय कारक और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं। इस बढ़ते मुद्दे के बीच एक नई प्रक्रिया, ‘शुक्राणु फ्रीजिंग’ (Sperm Freezing) ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। खासकर भारत में, यह प्रक्रिया तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
पुरुषों में Infertility का बढ़ता कारण
समय के साथ पुरुषों में Infertility के मामलों में वृद्धि हो रही है, और इसके कई कारण हैं। सबसे पहले, आजकल की जीवनशैली जिसमें अत्यधिक तनाव, अनहेल्दी खानपान, शराब और तंबाकू का सेवन और शारीरिक गतिविधियों की कमी शामिल है, पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। इसके अलावा, पर्यावरण में बढ़ते रसायन और प्रदूषण भी शुक्राणुओं की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं।
इसके साथ ही, चिकित्सा विज्ञान में हो रहे विकास के कारण लोग अपनी प्रजनन क्षमता के बारे में अधिक सचेत हो गए हैं। अब पुरुषों को भी समझ में आ रहा है कि उनके शरीर में किसी प्रकार की असामान्यता हो सकती है, जो उनकी प्रजनन क्षमता पर असर डाल सकती है।
शुक्राणु फ्रीजिंग क्या है?
शुक्राणु फ्रीजिंग एक प्रक्रिया है जिसमें पुरुषों के शुक्राणुओं को ठंडे तापमान पर संरक्षित किया जाता है, ताकि वह भविष्य में किसी समय उपयोग किए जा सकें। यह प्रक्रिया विशेष रूप से उन पुरुषों के लिए फायदेमंद है जो कैंसर जैसे गंभीर रोगों का इलाज करा रहे होते हैं, या जिनकी शारीरिक स्थिति भविष्य में उनकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है। शुक्राणु फ्रीजिंग के द्वारा, पुरुष अपनी प्रजनन क्षमता को भविष्य के लिए सुरक्षित कर सकते हैं।
भारत में शुक्राणु फ्रीजिंग की बढ़ती लोकप्रियता
भारत में, पुरुषों में बांझपन के मामलों के बढ़ने के साथ-साथ शुक्राणु फ्रीजिंग की प्रक्रिया भी तेजी से लोकप्रिय हो रही है। पहले यह प्रक्रिया केवल बड़े शहरों में ही उपलब्ध थी, लेकिन अब छोटे शहरों में भी इसके केंद्र स्थापित हो रहे हैं। इसके पीछे कई कारण हैं:
स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता: आजकल लोग अपनी स्वास्थ्य स्थिति के प्रति अधिक जागरूक हो गए हैं। पुरुषों को यह समझ में आ गया है कि उनका प्रजनन स्वास्थ्य भी महत्वपूर्ण है, और यदि भविष्य में उन्हें संतान प्राप्ति में समस्या हो, तो शुक्राणु फ्रीजिंग एक उपयुक्त विकल्प हो सकता है।
कैंसर उपचार: कैंसर के इलाज के दौरान पुरुषों को रसायन चिकित्सा (Chemotherapy) या विकिरण चिकित्सा (Radiation Therapy) की आवश्यकता हो सकती है, जो शुक्राणुओं की गुणवत्ता पर प्रभाव डाल सकती है। ऐसे में, शुक्राणु फ्रीजिंग एक सुरक्षा कवच साबित हो सकता है।
व्यवसाय और करियर के कारण विलंब: बहुत से पुरुष करियर के कारण संतान प्राप्ति में विलंब करते हैं। शुक्राणु फ्रीजिंग उन्हें इस निर्णय को टालने का अवसर देती है, ताकि वे भविष्य में संतान प्राप्ति के लिए तैयार रहें।
विज्ञान और तकनीकी उन्नति: चिकित्सा विज्ञान में हो रही लगातार उन्नति और तकनीकी विकास ने शुक्राणु फ्रीजिंग प्रक्रिया को और अधिक सुलभ और सुरक्षित बना दिया है। अब यह प्रक्रिया अधिक प्रभावी और विश्वसनीय हो गई है।
भारत में पुरुषों में Infertility की समस्या बढ़ रही है, और शुक्राणु फ्रीजिंग एक प्रभावी समाधान बनकर उभर रहा है। यह प्रक्रिया पुरुषों को मानसिक शांति देती है, क्योंकि वे जानते हैं कि अगर भविष्य में संतान प्राप्ति में कोई समस्या होती है, तो उनके पास विकल्प होगा। जीवनशैली में सुधार, स्वस्थ आहार और नियमित शारीरिक गतिविधियाँ भी पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बनाए रखने में मदद कर सकती हैं।